बच्चे की शैतानी का कारण कहीं यह बीमारी तो नहीं ? laxmanmedia

बच्चों की जरूरत से ज्यादा चंचलता, अत्यधिक गुस्सा और फोकस में कमी जैसे लक्षण एडीएचडी  की ओर भी इशारा करते हैं ।

अक्सर जिद्दी ,शैतान और गुस्सैल बच्चों के माता-पिता को लगता है कि बच्चे जानबूझकर ऐसा करते हैं और उन्हें अपना व्यवहार ठीक करने की जरूरत है ।बच्चे के व्यवहार को ठीक करने के लिए कभी-कभी तो माता-पिता डांट-डपट और मारपीट का भी सहारा ले लेते हैं। शैतानियां करना तो बच्चों का अधिकार है, लेकिन जरूरत से ज्यादा चंचलता अटेंशन  डेफिसिटी हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर यानी ADHD नाम की बीमारी की वजह से हो सकती है ।
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इसके लक्षण लगभग 7 फ़ीसदी बच्चों में होते हैं। इन लक्षणों की पहचान भी आमतौर पर 3 से 7 साल की उम्र में हो जाती है ,लेकिन कई बार पेरेंट्स और टीचर्स इसके  लक्षणों को बच्चों की उद्दंडता या खराब पेंटिंग का परिमाण मानकर टालते रहते हैं। और कोई मेडिकल सलाह नहीं लेते। इसी कारण यह मानसिक अवस्था आजीवन बनी रहती है। कभी-कभी एडीएसडी ऑटिज्म जैसी अधिक गंभीर मानसिक समस्या के साथ मिलता है।

किन लक्षणों पर गौर करें??

एडीएसटी तीन मुख्य लक्षण अलग अलग तरह से बच्चों में हो सकते हैं ।उम्र बढ़ने के साथ इन लक्षणों में हल्का बदलाव और कमी आती जाती रहती है, लेकिन एडीएसडी से गर्सित वयस्कों  को रिश्ते निभाने ,कार्यस्थल में दिक्कतें अथवा तलाक जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

Attention-deficit-.  अगर आपका बच्चा कोई एक काम, पढ़ाई ,खेल में ध्यान नहीं लगा पा रहा हो। बौद्धिक स्तर सामान्य या औसत से अच्छा होने के बावजूद चीजें याद नहीं रख पा रहा हो और इसके चलते उसका प्रदर्शन खराब हो रहा हो ।यानी इस बीमारी का पहला लक्षण है अटेंशन डेफिसिटी।





 हाइपर एक्टिविटी - बच्चा बहुत चंचल है, हमेशा हिलता- डुलता रहता है। हमेशा कुछ ना कुछ करता रहता है। कभी यह चीज पकड़ना तो कभी दूसरी पकड़ना ।बहुत ज्यादा बातूनी  है ।कब कहां क्या बोलना है ,अगर उस पर नियंत्रित नहीं है, तो यह बच्चे में हाइपरएक्टिविटी होने की निशानी है।


 इंपल्सिविटी -. बच्चा गुस्से में तोड़फोड़ करता हो, तेज चिल्लाता रहता हो, किसी को मारता हो, तो उसका यह व्यवहार इंपल्सिव है ।

एडीएचडी में कुछ बच्चों में यह तीनों ही लक्षण हो जाते हैं या कोई एक लक्षण भी हो उसका हो सकता है ।जैसे कुछ बच्चे क्लास में ठीक से बैठ पाएंगे लेकिन फोकस नहीं कर पाएंगे और कभी-कभी इंपल्स होंगे तीनों लक्षणों में से कोई एक लक्षण प्रमुखता से होगा।
यहां यह समझना बेहद जरूरी है कि आमतौर पर सभी बच्चे चंचल होते हैं गुस्सा भी करते हैं कभी-कभी एक चीज पर फोकस करने में भी उन्हें दिक्कत होती है ,अगर बच्चों में यह बातें कभी कबार होती है, तो वे सामान्य ही है। लेकिन अगर हमेशा या अक्सर यह समस्या होती है तो मतलब है की उसमें एडीएचडी की प्रॉब्लम हो सकती है


 क्या है इलाज ??

बच्चों में एडीएचडी की समस्या कुछ बाहरी कारणों से लक्षणों को बढा़ सकती है ।जैसे माता-पिता में बहुत लड़ाई होना ,तलाक ,अभिभावकों का स्वयं मानसिक रोगी होने, एडिक्शन इत्यादि से पीड़ित होना ,बच्चे की हर गलत- सही बात को मानना इत्यादि ।बच्चों को कंट्रोल करने के लिए उन्हें मारने पीटने से वे गुस्सैल हो सकते हैं। इसे खराब पेंरेटिंग के कारण हुई बीमारी मानना भूल है। यह समस्या जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है।

बचपन से इस समस्या का सही इलाज ना मिले, तो बच्चे की पढ़ाई पर खराब असर पड़ने के अतिरिक्त बड़े होने पर संबंधों के खराब होने , आपराधिक प्रवृत्ति विकसित होने, व्यवसन में पड़ने की आशंका भी अधिक हो जाती है । आमतौर पर शिशु रोग विशेषज्ञ इन लक्षणों की पहचान कर लेते हैं ।कई बार टीचर इन लक्षणों को पहचान लेते हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ लक्षणों की  पहचान कर प्रश्न उत्तर पर आधारित मनोवैज्ञानिक टेस्ट कर सकते हैं, ताकि रोग की पुष्टि हो सके। शिशु रोग विशेषज्ञ जरूरत होने पर  चाइल्ड साइकेटिर्स्ट या डेवलपमेंट पीडीयाटिशियन  की सलाह लेने के लिए भी कह सकते हैं।

क्रिएटिव होते हैं ऐसे बच्चे

ए डी एच डी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन लक्षण बहुत हद तक कंट्रोल किए जा सकते हैं। इलाज के लिए दवाऔं, बिहेवियर थेरेपी और काउंसलिंग की मदद ली जा सकती है। सभी बच्चों को दवाओं की जरूरत भी नहीं होती इससे ग्रस्त बच्चे फोकस में कमी के कारण पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं होते ,लेकिन  इनके मस्तिष्क में लगातार चलते नए विचारों और इनकी अधिक ऊर्जा की वजह से यह किसी रचनात्मक गतिविधि ,कंप्यूटर प्रोग्रामिंग इत्यादि में काफी अच्छे साबित हो सकते हैं।


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