Subhash Chandra Bosh Ka Jivan Parichay Kahani

सुभाष चन्द्र बोस का जीवन परिचय

Subhash Chandra bosh Ka Jivan Parichay In Hindi, सुभाषचंद्र बोस भारत देश के महान स्वतंत्रता संग्रामी थे, उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बहुत कठिन प्रयास किये. उड़ीसा के बंगाली परिवार में जन्मे सुभाषचंद्र बोस एक संपन्न परिवार से थे, लेकिन उन्हे अपने देश से बहुत प्यार था और उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी देश के नाम कर दी थी. अमृत संदेश भारत की जनता के हृदय सम्राट नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था जो महात्मा गांधी के साथ देश को स्वतंत्रता दिलाने प्रयासरत थे, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक क्रन्तिकारी व्यक्ति थे, पुरे भारत में नेता के name से महसूर थे, जो भारत को आजादी दिलाने के लिए कई संघर्ष का सामना किया था, नेता सुभाष चन्द्र बोस का जीवन में अनेक संघर्ष को देखते हुए आज भी लाखो लोगो के दिल में याद है जो बहुत साहसी  व्यक्ति थे (Subhash Chandra Boss Biography Story in Hindi)

तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा"

सुभाष चंद्र बोस( Subhash Chandra Bose) का जन्म 22 जनवरी 1897 ईसवीं को कटक (उड़ीसा) में हुआ था, इनके पिता का नाम बाबू जानकी नाथ बोस था, सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय नेता 5 वर्ष की आयु में मिशनरी स्कूल में प्रविष्ट हुए, सुभाष चंद्र बोस मेधावी छात्र थे,

Netaji Subhas Chandra Bose Initial Life

सुभाषचंद्र जी का जन्म कटक, उड़ीसा के बंगाली परिवार में हुआ था , उनके 7 भाई और 6 बहनें थी. अपनी माता पिता की वे 9 वीं संतान थे, नेता जी अपने भाई शरदचन्द्र के बहुत करीब थे. उनके पिता जानकीनाथ कटक के महशूर और सफल वकील थे, जिन्हें राय बहादुर नाम की उपाधि दी गई थी. नेता जी को बचपन से ही पढाई में बहुत रूचि थी, वे बहुत मेहनती और अपने टीचर के प्रिय थे. लेकिन नेता जी को खेल कूद में कभी रूचि नहीं रही. नेता जी ने स्कूल की पढाई कटक से ही पूरी की थी. इसके बाद आगे की पढाई के लिए वे कलकत्ता चले गए, वहां प्रेसीडेंसी कॉलेज से फिलोसोफी में BA किया. इसी कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर के द्वारा भारतियों को सताए जाने पर नेता जी बहुत विरोध करते थे, उस समय जातिवाद का मुद्दा बहुत उठाया गया था. ये पहली बार था जब नेता की के मन में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू हुई थू.


नेता जी सिविल सर्विस करना चाहते थे, अंग्रेजों के शासन के चलते उस समय भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत मुश्किल था, तब उनके पिता ने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया. इस परीक्षा में नेता जी चोथे स्थान में आये, जिसमें इंग्लिश में उन्हें सबसे ज्यादा नंबर मिले. नेता जी स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे, वे उनकी द्वारा कही गई बातों का बहुत अनुसरण करते थे. नेता जी के मन में देश के प्रति प्रेम बहुत था वे उसकी आजादी के लिए चिंतित थे, जिसके चलते 1921 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी ठुकरा दी और भारत लौट आये.

इंडियन नेशनल आर्मी (INA) –

1939 में द्वितीय विश्व युध्य चल रहा था, तब नेता जी ने वहां अपना रुख किया, वे पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे, ताकि अंग्रेजो को उपर से दबाब पड़े और वे देश छोडकर चले जाएँ. इस बात का उन्हें बहुत अच्छा असर देखने को मिला, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया. जेल में लगभग 2 हफ्तों तक उन्होंने ना खाना खाया ना पानी पिया. उनकी बिगड़ती हालत को देख देश में नौजवान उग्र होने लगे और उनकी रिहाई की मांग करने लगे. तब सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबन्द कर रखा था. इस दौरान 1941 में नेता जी अपने भतीजे शिशिर की मदद ने वहां से भाग निकले. सबसे पहले वे बिहार के गोमाह गए, वहां से वे पाकिस्तान के पेशावर जा पहुंचे. इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए, जर्मनी पहुँच गए, जहाँ वे वहां के शासक एडोल्फ हिटलर से मिले.

राजनीती में आने से पहले नेता जी दुनिया के बहुत से हिस्सों में घूम चुके थे, देश दुनिया की उन्हें अच्छी समझ थी, उन्हें पता था हिटलर और पूरा जर्मनी का दुश्मन इंग्लैंड था, ब्रिटिशों से बदला लेने के लिए उन्हें ये कूटनीति सही लगी और उन्होंने दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाना उचित लगा. इसी दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एमिली से शादी कर ली थी, जिसके साथ में बर्लिन में रहते थे, उनकी एक बेटी भी हुई अनीता बोस.

1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया मतलब जापान जा पहुंचे. यहाँ वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिन्द फ़ौज के मुख्य थे. नेता जी मोहन सिंह व रास बिहारी बोस के साथ मिल कर ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का पुनर्गठन किया. इसके साथ ही नेता जी ‘आजाद हिन्द सरकार’ पार्टी भी बनाई. 1944 में नेता जी ने अपनी आजाद हिन्द फ़ौज को ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ नारा दिया. जो देश भर में नई क्रांति लेकर आया.

नेता जी का इंग्लैंड जाना –

नेता जी इंग्लैंड गए जहाँ वे ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष व राजनीती मुखिया लोगों से मिले जाना उन्होंने भारत की आजादी और उसके भविष्य के बारे में बातचीत की. ब्रिटिशों को उन्होंने बहुत हद तक भारत छोड़ने के लिए मना भी लिया था.

Subhash Chandra Bose ka jeevan parichay

1993 में सुभाष चंद्र बोस( Subhash Chandra Bose) ने मैट्रिक परीक्षा पास की, उसके बाद कलकत्ता में b.a. तक शिक्षा प्राप्त की, उंची शिक्षा के लिए सुभाष चंद्र बोस को विलायत भेजा गया, राष्ट्रीय नेता सुभाष चंद्र बोस I.C.A की परीक्षा में छठा स्थान प्राप्त किया

भारत लौटने पर अंग्रेज सरकार ने सुभाष चंद्र बोस को उच्च स्थान दिया किंतु अंग्रेजों द्वारा की गई भारतीय जनता की दुर्दशा को देख कर सुभाष चंद्र बोस ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया, और देश सेवा के लिए गांधीजी के असहयोग आंदोलन में जुट गए

Subhash Chandra Bose Rashtriya neta ka jeevan Sangharsh

इस पर सुभाष चंद्र बोस( Subhash Chandra Bose) को 6 महीने के लिए जेल में डाल दिया गया, 1924 में महात्मा गांधी जी के नमक सत्याग्रह में कथा 1935 में भी सुभाष चंद्र बोस( Subhash Chandra Bose) ने जेल यात्रा की

सुभाष चंद्र बोस यूरोप से लौटने पर इनको कांग्रेस का सभापति चुना गया परंतु यह गर्म विचारों के थे अतः गांधी जी के नरम विचारों से इनका मेल न खाया, इन्होंने शीघ्र ही सभापति पद त्याग दिया और नया "फॉरवर्ड ब्लॉक" दल बना लिया

Subhash Chandra Bose Rashtriya neta angrejo Ka Saamna

सुभाष चंद्र बोस( Subhash Chandra Bose) जोशीले भाषण से घबराकर अंग्रेज सरकार ने इनको घर पर नजरबंद कर दिया, इन्होंने घर में रहते हुए दाढ़ी बना ली और वेश बदलकर पेशावर जा पहुंचे, सुभाष चंद्र बोस( Subhash Chandra Bose) अनेक कष्टों को झेलते हुए जर्मनी से जापान पहुंचे, यहां पर इन्होंने भारत को स्वतंत्रता करवाने के लिए "आजाद हिंद फौज" की स्थापना की,

इनकी सैनिक शक्ति को देकर अंग्रेजों के पाव उखड़ गए, टोकियो जाते समय 6 फरवरी 1945 को विमान दुर्घटना में सुभाष चंद्र बोस स्वर्ग सिधार गए, सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु से सारे देश में सन्नाटा छा गया तथा लोग बहुत दुखी हुए

सुभाष चंद्र बोस( Subhash Chandra Bose) राष्ट्रीय नेता बलिदान ही वह रंग लाया की अंग्रेजों को आजाद हिंद फौज के प्रति मुकदमा चलाते हुए भी उसके नेताओं को क्षमा करना पड़ा और थोड़े ही दिनों में भारत को स्वतंत्र करना पड़ा।(Subhash Chandra Bose Ka Jivan Parichay Hindi Story)

 

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की म्रत्यु (Subhas Chandra Bose Death)–

1945 में जापान जाते समय नेता जी का विमान ताईवान में क्रेश हो गया, लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी, कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. भारत सरकार ने इस दुर्घटना पर बहुत सी जांच कमिटी भी बैठाई, लेकिन आज भी इस बात की पुष्टि आज भी नहीं हुई है. मई 1956 में शाह नवाज कमिटी नेता जी की मौत की गुथी सुलझाने जापान गई, लेकिन  ताईवान ने कोई खास राजनीती रिश्ता ना होने से उनकी सरकार ने मदद नहीं की. 2006 में मुखर्जी कमीशन ने संसद में बोला, कि ‘नेता जी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, और उनकी अस्थियाँ जो रेंकोजी मंदिर में रखी हुई है, वो उनकी नहीं है.’ लेकिन इस बात को भारत सरकार ने ख़ारिज कर दिया. आज भी इस बात पर जांच व विवाद चल रहा है.

सुभाष चन्द्र बोस जयंती ( Subhas Chandra Bose Jayanti 2020)

23 जनवरी को नेताजी सुभास्ज चन्द्र बोस जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष सुभाष चन्द्र बोस जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस साल 2021 में 23 जनवरी को उनका 123 वें जन्मदिन के रूप में मनाया जायेगा.

नेता सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में रोचक तथ्य

  • वर्ष 1942 में नेता सुभाष चंद्र बोस जी हिटलर के पास गए और भारत को आजाद करने का प्रस्ताव उसके सामने रखा, परंतु भारत को आजाद करने के लिए हिटलर का कोई दिलचस्पी नहीं था और उसने नेताजी को कोई भी स्पष्ट वचन नहीं दिया था।
  • सुभाष चंद्र बोस जी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह जी को बचाना चाहते थे और उन्होंने गांधी जी से अंग्रेजों को किया हुआ वादा तोड़ने के लिए भी कहा था, परंतु वे अपने उद्देश्य में नाकाम रहे।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने भारतीय सिविल परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था, परंतु उन्होंने देश की आजादी को देखते हुए अपने इस आरामदायक नौकरी को भी छोड़ने का बड़ा फैसला लिया।
  • नेताजी को जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिल दहला देने वाले दृश्य ने काफी ज्यादा विचलित कर दिया और फ़िर भारत की आजादी संग्राम में खुद को जोड़ने से रोक ना सके।

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